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पढ़ना ही तो स्वप्न है अपना

पुस्तक, जीवन लक्ष्य है मेरा,
यह हमको प्रति पल ललचाती ।
पुस्तक, ही तो ज्ञान की खान है,
जीवन का तप-कर्म सिखाती।

पुस्तक, है निर्मल गंगा सी,
मधु-सलिला सी बहती जाती।
पुस्तक, है वट वृक्ष के जैसी,
देकर सब कुछ, कुछ न जताती।

पुस्तक, है अनुभव का संचय,
बुद्धि प्रखर कर,मन हर्षाती।
पुस्तक, विश्व की सैर करा कर,
क्षण में घर वापस ले आती।

पुस्तक, जीवन-गाइड बनकर,
हर पहलू का बोध कराती।
पुस्तक, हमको दिशा-यंत्र बन,
सत्य-मार्ग की राह दिखाती।

पुस्तक, मेरी वह शिक्षक है,
बिना बेंत के सब समझाती।
पुस्तक, है सम पिता-मात के,
संबल देकर के, दुलराती।

पुस्तक, सच्ची मित्र सदा है,
हर सुख-दुख में साथ निभाती।
पुस्तक, है बस ईश्वर जैसी,
मुक्ति दिला, करुणा बरसाती।

पुस्तक,की काशी पुस्तकालय,
मन को शांति है, सदा दिलाती।
पुुस्तक, को पढ़कर के देखें,
जीवन को ये महान बनाती।

पुस्तक, जीवन लक्ष्य है मेरा,
ये हमको प्रति पल ललचाती ।


पवन कुमार गुप्ता
16.06.2020

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