(चित्र:सुदर्शन पटनायक)
न चाहूँ मान दुनिया में
न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना|
मुझे वर दे यही माता रहूँ भारत पे दीवाना||
करुँ मैं कौम की सेवा पडे़ चाहे करोड़ों दुख|
अगर फ़िर जन्म लूँ आकर तो भारत में ही हो आना||
लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूँ हिन्दी लिखुँ हिन्दी|
चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढना खाना||
भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की|
स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना||
लगें इस देश के ही अर्थ मेरे धर्म, विद्या, धन|
करुँ मैं प्राण तक अर्पण यही प्रण सत्य है ठाना||
नहीं कुछ गैर-मुमकिन है जो चाहो दिल से "बिस्मिल" तुम|
उठा लो देश हाथों पर न समझो अपना बेगाना||
(राम प्रसाद बिस्मिल)
यूरोपीय व्यापारियों ने 17वीं सदी से ही भारतीय उपमहाद्वीप में पैर जमाना आरम्भ कर दिया था। अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करते हुए ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 18वीं सदी के अन्त तक स्थानीय राज्यों को अपने वशीभूत करके अपने आप को स्थापित कर लिया था. 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा आधिपत्य ब्रितानी ताज (ब्रिटिश क्राउन) अर्थात ब्रिटेन की राजशाही का हो गया।
दशकों बाद नागरिक समाज ने धीरे-धीरे अपना विकास किया और इसके परिणामस्वरूप 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई एन सी) निर्माण हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद का समय ब्रितानी सुधारों के काल के रूप में जाना जाता है, जिसमें मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार गिना जाता है| लेकिन इसे भी रोलेट एक्ट की तरह दबाने वाले अधिनियम के रूप में देखा जाता है, जिसके कारण स्वरुप भारतीय समाज सुधारकों द्वारा स्वशासन का आवाहन किया गया। इसके परिणामस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों तथा राष्ट्रव्यापी अहिंसक आंदोलनों की शुरूआत हो गयी।
1930 के दशक के दौरान ब्रितानी कानूनों में धीरे-धीरे सुधार जारी रहे, परिणामी चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की|अगला दशक काफी राजनीतिक उथल पुथल वाला रहा| द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की सहभागिता, कांग्रेस द्वारा असहयोग का अन्तिम फैसला और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा मुस्लिम राष्ट्रवाद का उदय। 1947 में स्वतंत्रता के समय तक राजनीतिक तनाव बढ़ता गया। इस उपमहाद्वीप के आनन्दोत्सव का अंत भारत और पाकिस्तान के विभाजन के रूप में हुआ।
भारत में स्वतंत्रता दिवस का महत्व:
भारत में स्वतंत्रता दिवस प्रतीक नई दिल्ली का लाल किला है जहां 15 अगस्त 1947 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगा फहराया था। यह परंपरा आज भी जारी है और इस दिन प्रधानमंत्री लाल किले से तिरंगा फहराने के साथ ही देश को संबोधित करते हैं।
15 अगस्त के बारे में रोचक तथ्य:
1. 15 अगस्त 1947 को जब भारत को आजादी हासिल हुई उस वक्त भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जश्न का हिस्सा नहीं थे। क्योंकि उस दौरान वो बंगाल में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने का काम कर रहे थे।
2. 15 अगस्त को भारत के अलावा तीन अन्य देशों को भी आजादी मिली थी। इनमें दक्षिण कोरिया जापान से 15 अगस्त, 1945 को आज़ाद हुआ। ब्रिटेन से बहरीन 15 अगस्त, 1971 को और फ्रांस से कांगो 15 अगस्त, 1960 को आजाद हुआ था।
3. जिस दिन भारत आजाद हुआ यानि 15 अगस्त को उस दिन तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा पूर्ण रुप से नहीं बनी थी, इसका फैसला 17 अगस्त को को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ।
4. देश भले ही 15 अगस्त को आजाद हो गया था, लेकिन तक तक हमारे पास अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था, हालांकि रवींद्रनाथ टैगौर ‘जन-गण-मन’ लिख चुके थे, लेकिन इसे 1950 में इसे राष्ट्र गान का दर्जा मिला।
5. लार्ड माउंटबेटन ने भारत को इसलिए आजाद कराया क्योंकि इसी दिन जापान की सेना ने उनकी अगुवाई में ब्रिटेन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। ऐसे में लार्ड माउंटबेटन ने निजी तौर पर भारत की स्वतंत्रता के लिए 15 अगस्त का दिन तय किया।
6. आपको जानकर हैरानी होगी की 15 अगस्त 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन अपने कार्यालय में काम कर रहे थे, दोपहर को नेहरु ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और उसके बाद इंडिया गेट के पास एक सभा को संबोधित किया।
7. जिस दिन भारत आजाद हुआ यानि की 15 अगस्त 1947 को, 1 रुपया 1 डॉलर के बराबर था और सोने का भाव 88 रुपए 62 पैसे प्रति 10 ग्राम था।
8. भारत भले ही आजाद हो चुका था, लेकिन उस दौरान वर्तमान राज्य गोवा भारत का हिस्सा नहीं था। उस दौरान गोवा पुर्तगालियों के अंडर में आता था, 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने गोवा को पुर्तगालियों से आजाद करवाया था।
हमारे स्वतंत्रता सेनानी:
1. मंगल पांडे:
जन्म: 19 जुलाई, 1827
जन्म स्थान: बलिया, उत्तर प्रदेश
निधन: 8 अप्रैल 1857
म्रत्यु का स्थान: बैरकपुर, पश्चिम बंगाल
भारत की आजादी की लड़ाई में लाखों लोगों ने भाग लिया था लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे जो एक नई प्रतीक या प्रतिमा के साथ उभरे|आजादी के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का त्याग किया और इन्हीं लोगों के कारण हम आज स्वतंत्र देश में रहने का आनंद ले रहे हैं|
हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए जीवन, परिवार, संबंध और भावनाओं से भी ज्यादा महत्वपूर्ण था हमारे देश की आजादी| इस पूरी लड़ाई में काई व्यक्तित्व उभरे, कई घटनाएं हुई, इस अद्भुत क्रांति में असंख्य लोग मारे गए, घायल हुए| अपने सम्मान और गरिमा के लिए हर कोई अपने देश के लिए मौत को गले लगाने का फैसला नहीं कर सकता है| आइये कुछ ऐसे महानायकों के बारे में अध्ययन करेंगे जिन्होंने आजादी दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई थी.
1. मंगल पांडे:
जन्म: 19 जुलाई, 1827
जन्म स्थान: बलिया, उत्तर प्रदेश
निधन: 8 अप्रैल 1857
म्रत्यु का स्थान: बैरकपुर, पश्चिम बंगाल
मंगल पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक गांव नगवा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था| उनके पिता का नाम 'दिवाकर पांडे' तथा माता का नाम 'अभय रानी' था| वे सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए थे| वे बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही थे| यहीं पर गाय और सूअर की चर्बी वाले राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ|
जिससे सैनिकों में आक्रोश बढ़ गया और परिणाम स्वरुप 9 फरवरी 1857 को 'नया कारतूस' को मंगल पाण्डेय ने इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया| 29 मार्च सन् 1857 को अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन भगत सिंह से उनकी राइफल छीनने लगे और तभी उन्होंने ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया साथ ही अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेन्ट बॉब को भी मार डाला| इस कारण उनको 8 अप्रैल, 1857 को फांसी पर लटका दिया गया| मंगल पांडे की मौत के कुछ समय पश्चात प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हो गया था जिसे 1857 का विद्रोह कहा जाता है|
(Biography.com)
जन्म: 28 सितंबर 1907जन्म स्थान: लायलपुर ज़िले के बंगा, पंजाब
निधन: 23 मार्च 1931
मृत्यु का स्थान: लाहौर जेल में फांसी
शहीद भगत सिंह पंजाब के रहने वाले थे| उनके पिता का नाम 'किशन सिंह' और माता का नाम 'विद्यावती' था| वे भारत के सबसे छोटे स्वतंत्रता सेनानी थे| वह सिर्फ 23 वर्ष के थे जब उन्होंने अपने देश के लिए फासी को गले लगाया था| भगत सिंह पर अराजकतावादी और मार्क्सवादी विचारधाराओं का काफी प्रभाव पड़ा था|
लाला लाजपत राय की मौत ने उनको अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उत्तेजित किया था| उन्होंने इसका बदला ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉंडर्स की हत्या करके लिया| भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ केंद्रीय विधान सभा या असेंबली में बम फेंकते हुए क्रांतिकारी नारे लगाए थे| उनपर 'लाहौर षड़यंत्र' का मुकदमा चला और 23 मार्च, 1931 की रात भगत सिंह को फाँसी पर लटका दिया गया|
(www.khabar.ndtv.com)
जन्म: 2 अक्टूबर, 1869
जन्म स्थान: पोरबंदर, काठियावाड़ एजेंसी (अब गुजरात)
निधन: 30 जनवरी 1948
मृत्यु का स्थान: नई दिल्ली
महात्मा गांधी जी को राष्ट्रीय पिता और बापू जी कह कर भी बुलाया जाता है| उनके पिता का नाम 'करमचंद्र गाँधी' और माता का नाम 'पुतलीबाई' था| महात्मा गांधी को भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ कुछ लोगों में से एक माना जाता है जिन्होंने दुनिया को बदल दिया| उन्होंने सरल जीवन और उच्च सोच जैसे मूल्यों का प्रचार किया|
उनके सिद्धांत थे सच्चाई, अहिंसा और राष्ट्रवाद. गांधी ने सत्याग्रह का नेतृत्व किया, हिंसा के खिलाफ आंदोलन, जिसने अंततः भारत की आजादी की नींव रखी| उनके जीवनभर की गतिविधियों में किसानों, मजदूरों के खिलाफ भूमि कर और भेदभाव का विरोध करना शामिल हैं| वे अपने जीवन के अंत तक अस्पृश्यता (untouchability) के खिलाफ लड़ते रहे| 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली में नाथुरम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी|
जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था और इसका कोई ऐसा दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में कही भी देखने को नहीं मिलता है|
4. पंडित जवाहरलाल नेहरू
जन्म स्थान: इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
निधन: 27 मई, 1964
मृत्यु का स्थान: दिल्ली
पंडित जवाहरलाल नेहरू को चाचा नेहरू और पंडित जी के नाम से भी बुलाया जाता है| उनके पिता का नाम 'पं. मोतीलाल नेहरू' और माता का नाम 'श्रीमती स्वरूप रानी' था| वह भारतीय स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी के साथ सम्पूर्ण ताकत से लड़े, असहयोग आंदोलन का हिस्सा रहे| वह एक बैरिस्टर और भारतीय राजनीति में एक केन्द्रित व्यक्ति थे| आगे चलकर वे राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने|
बाद में वह उसी दृढ़ विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन में गांधीजी के साथ जुड़ गए| भारतीय स्वतंत्रता के लिए 35 साल तक लड़ाई लड़ी और तकरीबन 9 साल जेल भी गए| 15 अगस्त, 1947 से 27 मई, 1964 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने थे| उन्हें आधुनिक भारत के वास्तुकार के नाम से भी जाना जाता है|
(www.m.navodayatimes.in.com)
जन्म: 23 जुलाई 1906
जन्म स्थान: भाबरा, अलीराजपुर, मध्य प्रदेश
निधन: 27 फरवरी 1931
मृत्यु का स्थान: अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश
चंद्रशेखर आजाद का पूरा नाम पंडित चंद्रशेखर तिवारी था और उन्हें आजाद कहकर भी बुलाया जाता था| उनके पिता का नाम 'पंडित सीताराम तिवारी' और माता का नाम 'जाग्रानी देवी' था| वे 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की| वहीं पर उन्होंने कानून भंग आंदोलन में योगदान भी दिया था| वे एक महान भारतीय क्रन्तिकारी थे| उनकी उग्र देशभक्ति और साहस ने उनकी पीढ़ी के लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया| चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह के सलाहकार थे और उन्हें भारत के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है|
1920-21 के वर्षों में वे गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े, भारतीय क्रन्तिकारी, काकोरी ट्रेन डकैती (1926), वाइसराय की ट्रैन को उड़ाने का प्रयास (1926), लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए सॉन्डर्स पर गोलीबारी की (1928), भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्रसभा का गठन भी किया था| जब वे जेल गए थे वहां पर उन्होंने अपना नाम 'आजाद', पिता का नाम 'स्वतंत्रता' और 'जेल' को उनका निवास बताया था| उनकी मृत्यु 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में हुई थी|
6. सुभाष चंद्र बोस
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जन्म: 23 जनवरी 1897
जन्म स्थान: कटक (ओड़िसा)
निधन: 18 अगस्त 1945
सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें नेताजी के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय राष्ट्रवादी थे जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी| उनके पिता का नाम 'जानकीनाथ बोस' और माता का नाम 'प्रभावती' था| वे 1920 के अंत तक राष्ट्रीय युवा कांग्रेस के बड़े नेता माने गए और सन् 1938 और 1939 को वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने| उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक (1939- 1940) नामक पार्टी की स्थापना की|
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ जापान की सहायता से भारतीय राष्ट्रीय सेना “आजाद हिन्द फ़ौज़” का निर्माण किया| 05 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने “सुप्रीम कमांडर” बन कर सेना को संबोधित करते हुए “दिल्ली चलो” का नारा लागने वाले सुभाष चन्द्र बोस ही थे| 18 अगस्त 1945 को टोक्यो (जापान) जाते समय ताइवान के पास नेताजी का एक हवाई दुर्घटना में निधन हुआ बताया जाता है, लेकिन उनका शव नहीं मिल पाया था इसलिए आज भी उनकी मृत्यु एक रहस्य है|
(www.culturalindia.net.com)
जन्म: 23 जुलाई, 1856
जन्म स्थान: रत्नागिरी, महाराष्ट्र
निधन: 1 अगस्त, 1920
मृत्यु का स्थान: मुंबई
उनका पूरा नाम लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक था| उनके पिता का नाम 'श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक' और माता का नाम 'पारवतिबाई' था| वे भारत के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतन्त्रता सेनानी थे| भारत में पूर्ण स्वराज की माँग उठाने वाले यह पहले नेता थे| स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके नारे ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूँगा’ ने लाखों भारतियों को प्रेरित किया|
ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें 'अशांति का जनक' ‘Father of the Unrest' कहा. उन्हें 'लोकमान्य' शीर्षक दिया गया, जिसका साहित्यिक अर्थ है 'लोगों द्वारा सम्मानित'|
केसरी में प्रकाशित उनके आलेखों से पता चलता है कि वह कई बार जेल गए थे| लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया था| इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंगरेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया| 1 अगस्त,1920 को मुम्बई में उनका निधन हो गया था|
जिनके कारण ये भारत आजाद दिखाई देता है,
अमर तिरंगा उन बेटों की याद दिखाई देता है|
उनका नाम जुबाँ पर लेकर पलकों को झपका लेना,
उनकी यादों के पत्थर पर दो आँसू टपका देना|
जो धरती में मस्तक बोकर चले गये,
दाग़ गुलामी वाला धोकर चले गये|
मैं उनकी पूजा की खातिर जीवन भर गा सकता हूँ |
मैं पीड़ा की चीखों में संगीत नहीं ला सकता हूँ | |
(हरिओम पंवार)